वक़्त के फेर में, तुम जो रूठे मना लेंगे,
छत नहीं देखी कभी, अब तेरे दिल में पनाह लेंगे।
हर हंसी, तेरे चेहरे पर देखनी है अब बस,
और हर रोज ही, तेरा इक गम हम अपना लेंगे।
हर ख़ुशी तेरे पैरों में होगी, हर गम बे-निशां होगा,
सुख की दीवारों से हम, अपना आशियाँ बना लेंगे।
मेरा कोई ख्वाब, अब तक पूरा ना हुआ तो क्या,
पर अपनी आँखों में, तेरा हर वो सपना रमा लेंगे।
तेरी हंसी मुक्कमल हो, बस इतनी सी दुआ है,
इक ख़ुशी को तेरी, अपना हर गम दफना लेंगे।
नींद मुक्कमल मौत है, और मौत मुक्कमल नींद,
पर तेरी उम्र खातिर, खुद को अर्श चादर पहना लेंगे।
© #KishorPoetry मैं इक शायर बदनाम #CopyRightKishor
https://www.facebook.com/KishorPoetry/
छत नहीं देखी कभी, अब तेरे दिल में पनाह लेंगे।
हर हंसी, तेरे चेहरे पर देखनी है अब बस,
और हर रोज ही, तेरा इक गम हम अपना लेंगे।
हर ख़ुशी तेरे पैरों में होगी, हर गम बे-निशां होगा,
सुख की दीवारों से हम, अपना आशियाँ बना लेंगे।
मेरा कोई ख्वाब, अब तक पूरा ना हुआ तो क्या,
पर अपनी आँखों में, तेरा हर वो सपना रमा लेंगे।
तेरी हंसी मुक्कमल हो, बस इतनी सी दुआ है,
इक ख़ुशी को तेरी, अपना हर गम दफना लेंगे।
नींद मुक्कमल मौत है, और मौत मुक्कमल नींद,
पर तेरी उम्र खातिर, खुद को अर्श चादर पहना लेंगे।
© #KishorPoetry मैं इक शायर बदनाम #CopyRightKishor
https://www.facebook.com/KishorPoetry/
No comments:
Post a Comment