Thursday, February 4, 2016

कहाँ गई तू, मेरी प्यारी सी माँ

तेरी वो ममता का, कोमल सा अंचल.
मैं ही तो था तेरी, आँखों का काजल.
तू ही तो थी मेरी, ख़ुशी का जहाँ.
कहाँ गई तू, मेरी प्यारी सी माँ.

हर सुबह तेरे हाथ से खाना, दही की कटोरी.
फिर फीकी दही तो तो, चीनी की चोरी.
पकड़ा गया तो, करना पिटाई.
फिर वही दही, तूने खिलिई.
कटोरी तो है पर, तू है कहा.
कहाँ गई तू, मेरी प्यारी सी माँ.

वो काली रातो में, तेरी परियों की लोरी.
सूरज था गोल, और चंदा चकोरी.
चोट जो लगी मुझे, तो तू थी रोई.
मैं डरता अँधेरे से, तो तू न थी सोई
देख मेरी दुनिया में, फिर अँधेरे का है समां
कहाँ गई तू, मेरी प्यारी सी माँ.

अब मैं अकेला, तेरी प्यारी यादो के साथ.
जिन्दा हूँ, तो तुझ से किये कुछ वादों के साथ.
आजा एक बार खुदा से कुछ पल लेके.
वो गुजरा हुआ, तेरी ममता का कल लेके.

तुझ बिन मैं दुनिया से डरा और सहमा.
मेरे दिल में बसे, हैं सिर्फ तेरी यादों के निशाँ.
न तो मैं यहाँ, ना तू खुश वहां.
हो सके तो आजा..
एक बार.......ओ मेरी प्यारी सी माँ.............
Misssss UUUUUUUU Mooooommmmm!!

(c) Deepak Tiwari Kishore (c)
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