Sunday, June 28, 2015

सब को इसी में ही सामना है

खली हाथ आये थे खली हाथ जाना है।
सब छूट जायेगा तेरा जो खजाना है।

सिकंदर बोला कब्र से बहार रखना हाथ मेरे
मुझे मर कर ये सच सब को बताना है।

कोई भी दौलत वहां साथ नही जाती।
न कोई रूह मुड़कर वहां से है आती।

खुश रह जो है उस में ही तेरे पास में
देख तो आज तेरा कितना सुहाना है।

सिकंदर भी रोया दुनिया जीतने के बाद।
क्या फायद रोने का सब बीतने के बाद।

मिटटी पत्थर की लड़ाई में सब न खो देना
इक दिन सब को इसी में ही सामना है।

© #‎KishorPoetry‬ मैं इक शायर बदनाम ©

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