सौ बार डूब जो जाये किश्ती साहिल में अगर !
की माझी फिर भी रोज पार जाने से नही डरते !!
जो इक बार मर जाएँ इश्क में तो जन्नत हो !
जिन्दा होने पे दिल मरे पर जिस्म नही मरते !!
ना सजा देना उसे अगर मैं रहूँ न रहूँ यहाँ तो !
मरते हुए भी उस के गम का आसार नही करते !!
मेरा नाम शुमार ना करना राँझा और फरहाद में !
वो मेरी तरह यूं इश्क में गुनाह हजार नही करते !!
न करना बेवजह तक्कलुफ़ यूं लौट के आने का !
कि हम एक ही मोहब्बत को दो बार नही करते !!
© #KishorPoetry मैं इक शायर बदनाम ©
की माझी फिर भी रोज पार जाने से नही डरते !!
जो इक बार मर जाएँ इश्क में तो जन्नत हो !
जिन्दा होने पे दिल मरे पर जिस्म नही मरते !!
ना सजा देना उसे अगर मैं रहूँ न रहूँ यहाँ तो !
मरते हुए भी उस के गम का आसार नही करते !!
मेरा नाम शुमार ना करना राँझा और फरहाद में !
वो मेरी तरह यूं इश्क में गुनाह हजार नही करते !!
न करना बेवजह तक्कलुफ़ यूं लौट के आने का !
कि हम एक ही मोहब्बत को दो बार नही करते !!
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