Saturday, April 25, 2015

इक दिन तो तू आयगी

तुम ओगल सी मीठी हो,
मैं समंदर के पानी जैसा
तुम परियों किस्से हो, 
मैं पढ़ता बस कहानी जैसा

तुम किस्मत की ताबीर,
मैं खुदा की बेईमानी जैसा 
तुम लहरों की मंद हंसी

मैं मौजों की मनमानी जैसा
तुम उस की लिखी इबारत हो
तुम कलियों की शरारत हो
तुम नील गगन की चाँद सी
मैं बस कोई रात तूफानी जैसा

तुम बादल का सफ़ेद फर्श हो
तुम संगमर सा पाक अर्श हो
तुम लहराती हवा सी हो और
मैं कर्कश गूँज आसमानी जैसा

तुम पंछियों के मधुर गीत सी
तुम ख़ुदा की कोई हुस्न जीत सी
तुम लिखी पढ़ी इनायत हो उस की
और मैं अनपढ़ की नादानी जैसा

तुम आज की अनुभा सी हो
तुम रोज नई सुबह सी हो। ।
हंसती-हंसती मौसम सी तुम
मैं नम आँखों का पानी जैसा।

हाँ सब फासले हैं दरमियाँ
मैं जमीं और तू ये आसमां
पर इक दिन तो तू आयगी
मेरा दीवानापन देख यहाँ। ….

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