Sunday, June 28, 2015

मेरे हर नगमे में तो तेरे नाम का अल्फाज

वो कहते थे जब आवाज दोगे तब तेरे होंगे पास !
आज इक मुद्दत सी हो गई सुनाने को वो आवाज !!

वो कहते थे हर बात तेरे आगे ही तो होगी सब !
फिर क्यों छुपाते फिरते हैं वो हमसे हर राज...!!
माना की मैं गरीब हूँ दौलत से तो क्या हुआ...!
आज भी दिल पर है बस दरियादिली का राज !!

किशोर गजलों में अब वो बात कहीं रही नही !
की जो सब आ जाते हैं तेरे रोने के सुन के साज !!

यही मेरी मिन्नत है उस खुदा से हर रोजे पे बस !
कि मेरी हस्ती तबाह हो पर तुझ पे न आये गाज !!

मेरी शोहरत आज कम हो भले दुनिया मैं क्या !
रहेंगे मेरे हर नगमे में तो तेरे नाम का अल्फाज !!

© ‪#‎KishorPoetry‬ मैं इक शायर बदनाम ©

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