रोज की तरह आज फिर खुद से एक वादा किया !
कि ना लौटेंगे उन गलियों में फिर ये इरादा किया !
ना कभी ज़ीस्त को उस के लिए तड़पना होगा फिर
खुद को मशगूल अपनी महफिलों में ज्यादा किया !
सूनेपन में बस अपने अक्ष को साथ लिए फिरना है।
तनहाई में डूबने के लिए फिर दिल को अमादा किया
जाम और शाम दोनों किशोर की महफ़िल में अब !
नमकीन अश्क मय में डाल पानी को सादा किया !
आज आये हैं जब हम मशहूर शहर में गजलों से हैं !
दीवानगी ने कौन सा मुझे महलों का शहजादा किया
वो भी आज गजलों की आवाज सुन चले आये थे !
चुप होने के बावजूद भी शोर सबसे ज्यादा किया !
#KishorPoetry
www.facebook.com/kishorpoetry
कि ना लौटेंगे उन गलियों में फिर ये इरादा किया !
ना कभी ज़ीस्त को उस के लिए तड़पना होगा फिर
खुद को मशगूल अपनी महफिलों में ज्यादा किया !
सूनेपन में बस अपने अक्ष को साथ लिए फिरना है।
तनहाई में डूबने के लिए फिर दिल को अमादा किया
जाम और शाम दोनों किशोर की महफ़िल में अब !
नमकीन अश्क मय में डाल पानी को सादा किया !
आज आये हैं जब हम मशहूर शहर में गजलों से हैं !
दीवानगी ने कौन सा मुझे महलों का शहजादा किया
वो भी आज गजलों की आवाज सुन चले आये थे !
चुप होने के बावजूद भी शोर सबसे ज्यादा किया !
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