Tuesday, February 11, 2014

खुद से एक वादा किया

रोज की तरह आज फिर खुद से एक वादा किया !
कि ना लौटेंगे उन गलियों में फिर ये इरादा किया !

ना कभी ज़ीस्त को उस के लिए तड़पना होगा फिर 
खुद को मशगूल अपनी महफिलों में ज्यादा किया !

सूनेपन में बस अपने अक्ष को साथ लिए फिरना है।
तनहाई में डूबने के लिए फिर दिल को अमादा किया

जाम और शाम दोनों किशोर की महफ़िल में अब  !
नमकीन अश्क मय में डाल पानी को सादा किया  !

आज आये हैं जब हम मशहूर शहर में गजलों से हैं !
दीवानगी ने कौन सा मुझे महलों का शहजादा किया 

वो भी आज गजलों की आवाज सुन चले आये थे !  

चुप होने के बावजूद भी शोर सबसे ज्यादा किया !

#KishorPoetry 
www.facebook.com/kishorpoetry

No comments:

Post a Comment