Tuesday, January 21, 2014

मत पूछ

मत पूछ की हाल कैसा है,
पूछ सिर्फ इतना, की रात कैसे निकली

मत पूछ, की कौन सा मयखाना था...
बस मैं अकेला था, और बात तेरी निकली

मत पूछ की क्या बात थी,
बस कुछ यादें थी, और दर्द की सोगात तेरी निकली

वो खुश हुस्न के गुरुर से अपने...
और उसकी ख़ुशी, मौत की खैरात मेरी निकली

जिस रात मैं सोया, चैन-ओ-सुकून से कबर मैं
बस उसी रात मेरी गली में, बारात तेरी निकली

सुना है की वो आंसू बहा गया, मेरी माजर पर...
पर फिर भी, कातिल की तो जमात तेरी निकली...

Kishor © 

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