Tuesday, January 21, 2014

जज्बात

आंसू तो एक बहाना है, मेरे गम को छुपाने का !
कोन जाना है अब तक ये, मेरे दिल के सब हालात...

कौन कहता है, की आंसू कायर ही बहते हैं !
रोया था सिकंदर भी, ये दुनिया जीत जाने के की रात......

एक दिन मैखाने में, वो पूछ बेठे मेरे सब गम !
देख छालों को पेरों के, रोक बेठे वो सब सवालात....

लोग दीपक को भुझा देंगे सवेरे के आते तो क्या !
पतंगा भी तो जल जायेगा, बुझते हुए मेरे ही साथ....

©Kishor

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