Sunday, January 12, 2014

भरम

मैं माटी, तू माटी का.
और माटी, का ही तो दीप.
माटी का ही जग ये सारा.
माटी का मोती संग सीप.

मैं नानक का,तू नानक का.
नानक-नानक, ये जग सारा.
मक्का-मंदिर में, तेरा बसेरा.
सब जग तेरा उजियारा...

तू ही मुझ में, तू ही तुझ में.
तू ही तो है, हर कण-कण-रज में.
तेरा सूफी मैं फकीरा,
क्या लिखू इस कोरे कागज में.

मैं कोन एक जोगी रमता.
न देखी, मोह न देखी ममता.
मैं तेरा, और तू मेरा सहारा.

बाकी जग तो मेरा भरम था.

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