एक और सुबह आई, उस काली शाम के बाद
फिर वही भाग-दोड, और घर को काम के बाद
बीच में, फिर कलम शुरू होगा, कुछ लिखने को..
पर बेगेरत फिर रुक जाएगी ये, तेरे नाम के बाद
फिर माय-खाने कि तरफ कदम बढ़ चलेंगे..
नयनों - मयूरों में पानी से कोहराम बाद..
सारा गम भूल जायेगा दीपक उन अंधेरों में ...
बस उसी आखरी शाम के, हंसी जाम के बाद
फिर वही भाग-दोड, और घर को काम के बाद
बीच में, फिर कलम शुरू होगा, कुछ लिखने को..
पर बेगेरत फिर रुक जाएगी ये, तेरे नाम के बाद
फिर माय-खाने कि तरफ कदम बढ़ चलेंगे..
नयनों - मयूरों में पानी से कोहराम बाद..
सारा गम भूल जायेगा दीपक उन अंधेरों में ...
बस उसी आखरी शाम के, हंसी जाम के बाद
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