Sunday, January 12, 2014

सब बिक गया

मैं बिका हूँ, तू बिका है, और बिका गया हर इंसा 
दाम सही मिले अगर, तो बेच दी जाती है माँ 

तू लिख रहा बैठ कर, सब का ताना-बाना वहां

और तुझे सड़क पे ही, बेच दिया जाता यहाँ

कल उसकी साँसों के लिए, मन्नतों में थे लगे जहाँ 

आज बिक रहे हैं देखो, उस के ही जख्मों के निशाँ

"बिक गया धर्म कर्म, बिक बिक गई गीता-कुरान
मैं बिका तू बिका, और बिक गया हर इंसान...

जिन्दे-मुर्दे दोनों की कीमत और बिक जाता है शमशान 
मेरी जेब में पैसा है, तो खरीद लूँ मैं वो भगवान

तू तो कीड़ा है मामूली, बता कितने की है तेरी जान"

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