Monday, June 29, 2015

सेना चली सड़क-सड़क

रण भी देख सज गया
युद्ध बिगुल बज गया
निंद्रा को विराम दे
हाथ रक्त जाम ले
ह्रदय मन्द रहा धड़क
हाथ में बजे खड़क
अग्रसर-भगवा शिवा
सेना चली सड़क-सड़क

रक्त का तिलक किये
मरू हाथ में लिए
नयन में प्रतिशोध है
अरि भी विरोध है
लहू स्वाद शिवा चखे
शत्रु धड-धरा रखे
हाथ-पैर गल माल है
ये शिवा का कमाल है
मेघ रहे कड़क-कड़क
बायाँ नयन रहा फड़क
ताक-गिद्ध शाख पे
सेना चली सड़क-सड़क

प्रिया का मोह छोड़ा
संग मात्र एक ही घोडा
विश्वास ने घात किया
धोखा तेरे साथ किया
काली मांग रही बलि
हार तेरी ना खली
प्राण फिर त्याग के
हल्दी-घटी चिता जली
तू एक ही सपूत था
माँ को भेंट चढ़ गया
कर्ज भी वो दूध था
जो स्वर्ण नाम गढ़ गया
सूर्य पटल रहा रडक
सेना चली....

दीप तेरे चरण कमल
नाम हैं तेरा अटल
परास्त तेरे ना था बल
बस अप्रिय कर गए छल
शिवा तू महान था
ओज-तेज सामान था

Sulte to Veer Shivaji
The 1st Chhatrapati of the Maratha Empire
(Copyrighted Kishor © 2013)

#‎KishorPoetry‬ मैं इक शायर बदनाम

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