! मैं इक शायर बदनाम !
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Sunday, June 28, 2015
क्षण-क्षण ढूंढा, कण-कण ढूंढा, न रहीम मिला न राम
मैं मुहा तो अनीश्वरवादी, क्यों तुझे ना मिला वो धाम !
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मैं इक शायर बदनाम
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