Sunday, January 12, 2014

वो क्या जाने जो सोया नही

ढलती शाम कैसी होती, वो क्या जाने जो सोया नही
कंटक से असीमत पीर, वो क्या जाने जो रोया नहीं
बिन नयनों के मोती वाला, क्या जाने कैसे उगता सूरज !!
वो क्या काटे खेत हरे, जिस ने कुछ बोया नही.......

कारज तो तू सभी करे है, पर क्या जाने हासिल है क्या
किस-किस के तू हिस्से आया, और किस के तू काबिल है क्या
क्या जाने वो सिन्धु तल को, जिसने खुद को डुबोया नही 
हासिल करने का लघु विजय, वो क्या जाने जो खोया नही

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