Saturday, January 11, 2014

मेरे जज्बात

मुश्किलें लाख पैदा हों, नहीं रुकना है मेरी बिसात.
दम-ए-दोजख लगा ले जोर, या कर सब इकट्ठी जन्नत-जमात.

तूफानों में भी कहाँ, दम-ए-फुरकत भरी होगी.
जो मेरी राह में अड़ कर, मुझे कर दे ये सब रुख्सात.

आंसू तो एक बहाना है, मेरे गम को छुपाने का.
कोन जाना है अब तक ये, मेरे दिल के सब हालत.

मंजिल तक पहुँच पाना, मेरी तकदीर में नही तो क्या,
पर राहों को मेरे पास, खुद आने के हैं जज्बात.

हर पत्थर की ठोकर ने, मुझे गिरना सिखाया है,
तो उठ जाना अँधेरे ने, मुझे सिखाया है हर रात.

जब एक दिन मैखाने में, वो पूछ बेठे मेरे सब गम,
देख छालों को पेरों के, रोक बेठे सब सवालात.

कोन कहता है की, सिर्फ आंसू कायर बहते हैं,
रोया था सिकंदर भी, ये दुनिया जीत जाने के बाद.

कोई गम-ए-खला, नही, जो लोग मुझे बुझा देंगे,
पतंगा भी तो जलता है, बुझते हुए मेरे ही साथ.

© #KCopyRight #KishorPoetry मैं इक शायर बदनाम ©

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