एक रोज हकीकत कर दूंगा,
मैं जब छोड़ जवानी चल दूंगा,
तब तेरी काजल भरी आँखों में,
मैं आंसू पानी भर दूंगा.
जब मुझसे तू बांध जाएगी,
तू दोड़ मेरे पास आएगी,
पर मैं मुह से कुछ न बोलूँगा,
और तू चुप खड़ी रह जाएगी.
जब आग छुएगी इस दीपक को,
तो धुआ-धुआ हो जाऊंगा,
तू लाख बुलाएगी मुझको,
पर मैं पास न तेरे आऊंगा,
फिर तेरी काजल भरी इन दो आँखों से,
मैं धीरे-धीरे बह जाऊँगा.
© Kishor
मैं जब छोड़ जवानी चल दूंगा,
तब तेरी काजल भरी आँखों में,
मैं आंसू पानी भर दूंगा.
जब मुझसे तू बांध जाएगी,
तू दोड़ मेरे पास आएगी,
पर मैं मुह से कुछ न बोलूँगा,
और तू चुप खड़ी रह जाएगी.
जब आग छुएगी इस दीपक को,
तो धुआ-धुआ हो जाऊंगा,
तू लाख बुलाएगी मुझको,
पर मैं पास न तेरे आऊंगा,
फिर तेरी काजल भरी इन दो आँखों से,
मैं धीरे-धीरे बह जाऊँगा.
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